Monday, April 28, 2014

छायाचित्र :-20


धरती और सूरज
के बीच
कोई तीसरा
आ गया |
ये छाया उसकी
नाजायज बेटी है
हाँ,सूरज ने उसे
अपना नाम दे दिया

-हरीश हैरी

Friday, April 25, 2014

लघुकथा-"सफाई"

उसने अस्पताल की दीवार पर थूकते हुए कहा-यहाँ सफाई नाम की कोई चीज ही नहीं है !तब तक उसका मित्र अस्पताल की दीवार पर पेशाब कर आ चुका था| उसने हाँ में हाँ मिलाई और दोनों आगे बढ़ चले|

-हरीश हैरी   

छायाचित्र :-19

भरी दोपहर में
तपती सड़क पर
नंगे पांव
नहीं चल पाई
छाया
पेड़ देख
नीचे जा बैठी

-हरीश हैरी

छायाचित्र :-18

सर्दी में जो थे
धूप के साथ
बढ़ती गर्मी देख
छाया के साथ हो लिए

-हरीश हैरी

छायाचित्र :-17

तपती दोपहर में
दुष्ट सूरज के कोड़े
पीठ पर खाता रहा पेड़
बेटी छाया को
आँच तक नहीं आने दी

-हरीश हैरी