Bharatvasiyo
Ab aap se kya kahen...
Friday, July 24, 2015
राजस्थानी कविता-“आदमी-आदमी रो फर्क"
जको आदमी
डागदर कन्नै दो मिनट रा
चुपचाप
फीस रा दो सौ रीपीया दे आयो हो
बो ई आदमी
सब्जीआळै स्यूं दो रीपिया
छुटावण सारू
घणी ताळ तक जिरह करै हो
-हरीश हैरी
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