Bharatvasiyo
Ab aap se kya kahen...
Wednesday, January 7, 2015
कविता-“दरार"
दरार आने से
गिर गई दीवार
दरार आई तो
आँगन में
खड़ी हो गई
दीवार
-हरीश हैरी
राजस्थानी कविता-“आग"
च्यारूं भाई
एक ई तूळी सूं
अजै ई सिलगावै बीड़ी
पण रोटीयां सारू
घर में बण रैया है
कई चूल्हा !
-हरीश हैरी
राजस्थानी कविता-“भींत"
चौभींतै नै
देख'र
खुस होवंतो घर
आँगण बिचाळै
निकळती
भींत नै देख'र
टूटग्यो घर !
-हरीश हैरी
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