Wednesday, October 29, 2014

राजस्थानी कविता-"पोती"


माऊ आखै साल
पीपळ में
घाल्यो पाणी
कुत्तियां नै देंवती
नित रोटी
गायां नै चरांवती
हरमेस हरयो नीरो
भोत रटती ठाकुरजी नै
भगवान राजी होय'र
पोती दे दीनी

दो साल री पोती
दादी री
आंख्यां बणगी !

-हरीश हैरी

राजस्थानी कविता-"लिछमी"


नवी बीनणी
घर में आंवतै बगत
पगथळी में
धान सूं भरयोङै
कुल्हडिये रै
पग री ठोकर लगाई
खिंडेङै धान नै देख'र
लुगाईयां केवै ही
लिछमी आई है !

-हरीश हैरी



राजस्थानी कविता-"चाँद मामो"


चाँद मामे नै
देख'र
राजी होया
सुरजै ताऊ नै
देखतां ईं
घर में
लुकग्या टाबर !

-हरीश हैरी

राजस्थानी कविता-"चाँद काको"


चाँद काको ठंडो
घणो तातो
सूरजो ताऊ !

राजस्थानी कविता-"सूरज मरकरी"


ऊपरलै
दिन में
चसाई
सूरज मरकरी
खूब बिल आयो !

रात नै
झिलमिल लाईटां रै साथै
चसायो
चाँद सी.एफ.एल
आखी जिया जूण रै
ठंड बापरगी !

-हरीश हैरी

राजस्थानी कविता-"पहाड़ अ'र देवता"


लोग देवतावां नै
मनावण सारु
पहाङां माथै
जा चढ्या
देवता तो मानग्या
पहाड़ पण मान्या कोनी
पहाड़ा दाब मारया लोगां नै
देवता नेङै नी आया !

-हरीश हैरी

राजस्थानी कविता-"आंधी"


बूढी ठेरी में
अचाणचकै इज
किंया बापरगी ज्यान
बण्या राह छोङ'र
चाली उझङ
खेत,खळां
गाँव-गुवाङ में
डाकण दांई
हांफळा मारती नै देख'र
गाँव रा बडेरा
साची केवै हा
आ तो आंधी है ।

-हरीश हैरी

राजस्थानी कविता-"आंधी"


आंधी रूस'र
घर सूं निकळगी बारै
धक्का खांवती फिरी
घरां,खेतां अ'र गुवाङां में
कण ई बतळाई कोनी
बूढी सासू नै लारै-लारै
ढूंढण आई बिरखा बीनणी
सगळा कोड कर'र बोल्या-
आ थोङी ताळ
म्हारै घरां बैठ ।


राजस्थानी कविता-"आंधी अ'र बिरखा"


आंधी सासू ल्याई
रेत रो कसार भून्द’र
बिरखा बीनणी
स्याणी निकळी
हाथ धुआया
कुळा कराया !

-हरीश हैरी

"लुटेरा सूरज"


लुटेरा सूरज
दिनभर
चमक-दमक में
लूटता रहा
सबको
रात में
सब
बेहोश पडे़ थे

"पेड़"


काश कोई पत्थर मारता
या छाया तले बैठता
शाखाओं से झूलता
या फिर काट डालता कोई शाखा
आग जलाने के लिए
मगर ऐसा हो न सका
सबकी किस्मत कहाँ अच्छी होती है
गाँव से बहुत दूर खङा था
वो उदास पेङ।

-हरीश हैरी

Wednesday, October 15, 2014

लघुकथा-"कानून"

नुक्कङ पर चाय वाला अपनी धुन में चाय-चाय चिल्ला रहा था।उसके ठीक सामने सङक पर पुलिस वाले ने मोटरसाईकिल वाले से पूछा-इसके कागजात?
"साहब!कागजात तो घर पर रखें हैं कहीं गुम ना हो जाए"उसने अपना बचाव किया।
"आखिर कानून को तुमने समझ क्या रखा है?"उसने चालान काटकर हाथ में देते हुए कहा-"आज के बाद सारे कागजात वाहन के साथ ही रखना।"उसकी जेब कुछ भर चुकी थी मगर पेट खाली था।
सिपाही चाय पी रहा था तभी एक आदमी दौङता हुआ आया और बोला-"साहब!गाँधी चौक से अभी-अभी मेरा मोटरसाईकिल चोरी हो गया।कुछ कीजिए।"
सिपाही बोला-"उसके कागजात?"
"कागजात तो उसके अंदर ही टूल में थे"
"तुमने कानून को समझ क्या रखा है?घर पर कागज भी सम्भाल नहीं सकते!जाओ पहले कागज लाओ फिर बात करना।"सिपाही ने उसे भगा दिया।इसी बीच चाय वाला बिना पैसे माँगे खाली गिलास लिए जा रहा था।कानून क्या चीज होती है? यह उसकी समझ में आ चुका था।