बूढी ठेरी में
अचाणचकै इज
किंया बापरगी ज्यान
बण्या राह छोङ'र
चाली उझङ
खेत,खळां
गाँव-गुवाङ में
डाकण दांई
हांफळा मारती नै देख'र
गाँव रा बडेरा
साची केवै हा
आ तो आंधी है ।
काश कोई पत्थर मारता
या छाया तले बैठता
शाखाओं से झूलता
या फिर काट डालता कोई शाखा
आग जलाने के लिए
मगर ऐसा हो न सका
सबकी किस्मत कहाँ अच्छी होती है
गाँव से बहुत दूर खङा था
वो उदास पेङ।
नुक्कङ पर चाय वाला अपनी धुन में चाय-चाय चिल्ला रहा था।उसके ठीक सामने सङक पर पुलिस वाले ने मोटरसाईकिल वाले से पूछा-इसके कागजात?
"साहब!कागजात तो घर पर रखें हैं कहीं गुम ना हो जाए"उसने अपना बचाव किया।
"आखिर कानून को तुमने समझ क्या रखा है?"उसने चालान काटकर हाथ में देते हुए कहा-"आज के बाद सारे कागजात वाहन के साथ ही रखना।"उसकी जेब कुछ भर चुकी थी मगर पेट खाली था।
सिपाही चाय पी रहा था तभी एक आदमी दौङता हुआ आया और बोला-"साहब!गाँधी चौक से अभी-अभी मेरा मोटरसाईकिल चोरी हो गया।कुछ कीजिए।"
सिपाही बोला-"उसके कागजात?"
"कागजात तो उसके अंदर ही टूल में थे"
"तुमने कानून को समझ क्या रखा है?घर पर कागज भी सम्भाल नहीं सकते!जाओ पहले कागज लाओ फिर बात करना।"सिपाही ने उसे भगा दिया।इसी बीच चाय वाला बिना पैसे माँगे खाली गिलास लिए जा रहा था।कानून क्या चीज होती है? यह उसकी समझ में आ चुका था।