Bharatvasiyo
Ab aap se kya kahen...
Monday, November 10, 2014
राजस्थानी कविता-“लिछमी"
लिछमी
गरीबां री जायोड़ी
अमीरां नै परनायोड़ी
-हरीश हैरी
राजस्थानी कविता-“दही"
दूध रो
मा जायड़ो भाई
जावण रै धक्के चढ'र
होग्यो खाटो
फ़ाटग्यो लाई !
-हरीश हैरी
राजस्थानी कविता-“आछा-माडा़ दिन"
जका देवता
सवा रिपीये रै
परसाद में
हो जांवता झट राजी
बै इज देवता
उठग्या
सौ-सौ कोस दूर
सवा मणी सूं ई
नी आया नेड़ै
ओ फरक है फगत
आछा-माड़ा दिनां रो !
-हरीश हैरी
Newer Posts
Older Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)