Thursday, June 11, 2015

राजस्थानी कविता-“आप आप रो धरम"


मा सूना डांगरां नै
चरावै हरयो-नीरो
घालै दाणो-बांटो
बाबो रोज रात नै
जबरी ठंड में
खेत रूखाळै
सूना डांगरां सूं |

-हरीश हैरी