Monday, March 2, 2015

राजस्थानी प्रेम कविता-“तू याद कर"

राजस्थानी प्रेम कविता-“तू याद कर"

तू याद कर
रोई रै राह में
घणांई ऊँटगाडा चालता
भात्तो ले जांवती तू
म्हारै ऊँटगाडै नै
देख'र थम जांवती
गाडै पर बैठ्यां-बैठ्यां
आपणो प्रेम कित्तो बध्यो
आपणै प्रेम री साख भरतो ऊँट
छिन चढाय'र कितो भाजतो
बस नै ई नहीं जावण देंवतो
आप सूं आगै !

तू याद कर
घरै आंवतै बगत
हरै री पांड लियां तू
कित्ती करती म्हारी उडीक
बाकी तो
आप-आप री पांड लेय'र
उठ जांवती आप-आप रै घरै
म्हूं ऊँटगाडो लिये आऊं
म्हानै आज भी दिखै
हात रा झाला देंवती तू
आज मोड़ो कर दियोे
मा रोळा करसी
इत्तो कै'र गाडै पर बैठगी तू
अ'र रोजीना री भांत म्हारै
चल मुन्डेया कैंवतै ई
ऊँट चाल पड़्यो
दडा़क छंट

 बगत रै साथै
भोत कीं बदळग्यो
आज बो ई
रोई आळो राह है
वो ई ऊँटगाडो है
आज भी लुगाईयां ल्यावै हर्यै री पांड
ऊंट भी चालतो-चालतो थम जावै बठै
पण झालो देंवतो वो हात कठै है

-हरीश हैरी

राजस्थानी प्रेम कविता-“पैन"


तू याद कर
मैं थारी कलास में
जद पैन मांगण आयो
अ'र तू म्हनै
उतावळी हो'र पैन दियो
मैं पैन पूठो सौंप्यो
जद तू बोली-
थान्नै जरूरत है
थे ई राखो
ओ पैन,पैन नीं हो
दिल हो थारो
जको सौंप दियो
हरमेस सारू म्हनै तूं !

-हरीश हैरी

कविता-“अखण्ड योगी रास्ता"

रास्ते से आ-आ कर
लिपटती रहीं पगडंडीयाँ
अखण्ड योगी रास्ता
सबको छोड़
चलता रहा
अपनी ही धुन में
अपने ही रास्ते पर

-हरीश हैरी

राजस्थानी प्रेम कविता-“जोहड़ो”


तू याद कर
थारी भैंस्या जद
जोहडै़ सूं निकळ'र
नाळी आळै दरडां कानी भाजगी
मैं थारली लाठी लेय'र
भैंस्यां नै पाछी टोर'र ल्यायो
लडा़ई रै काम आंवती आ लाठी
आपां दोनां नै प्रेम में
पतो नहीं किंकर जोड़ दिया

आज भी
मैं जद कोई लाठी पकड़ूं
लाठी रै दूजै सिरै
थारो ई हाथ देखूं
एक सैंधी सी बोली
म्हारै कानां में गूंजै
म्हनै दिखै
भाजती भैंस्या,
हेला मारती तू
का पछै गाम रो जोहड़ो !

-हरीश हैरी

राजस्थानी कविता-“अड़ूवो”


खेत रूखाळतै-रूखाळतै
अड़ूवै रा गाबा
होग्या अेकदम लीरो-लीर
कणक री बीजांत पछै
बाबै आप रो कुड़तो खोल'र
अड़ूवै नै पैरा दियो
बाबै रो परेम देख'र
अड़ूवो अेकर फैर
होग्यो राजी
खेत रूखाळण सारू !

-हरीश हैरी