Sunday, May 5, 2013

राजस्थानी कविता-“आस्था"


गळी में
लङतां गोधां नै
नीं छुङा सक्या
गाँव आळा पाँच-सात
लठ्ठधारी मिनख
माऊ बोल दियो
सवा पांच रो परसाद
गोधां अळगा जांवता रैया।

-हरीश हैरी

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