Wednesday, January 7, 2015

राजस्थानी कविता-“आग"


च्यारूं भाई
एक ई तूळी सूं
अजै ई सिलगावै बीड़ी
पण रोटीयां सारू
घर में बण रैया है
कई चूल्हा !

-हरीश हैरी

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