Wednesday, September 9, 2015

राजस्थानी कविता-“बाड़"


झ्यान जाणै
राड़ सूं बाड़ आछी होवै
म्है बाड़ करली
फैर भी बां
म्हारै साथै राड़ करली.

-हरीश हैरी

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