Thursday, November 26, 2015

राजस्थानी कविता-“बाबो-तीन"


बाबो टूटेड़ी चप्पल नै
गांठतै टैम बण जांवतो मोची
छिणी री धार लगांवतै टैम लुहार
पलड़ सीड़तै टैम दर्जी !
तंगळी ठीक करता जद
मिसतरी कद करतो रीस बाबै री !
हरेक चीज नै जोड़-तोड़'र
बाबो कर ई देवंतो जुगाड़
क्यूंक बाबो तो बाबो ई हो !
-हरीश हैरी

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