Bharatvasiyo
Ab aap se kya kahen...
Thursday, November 26, 2015
राजस्थानी कविता-“बाबो-तीन"
बाबो टूटेड़ी चप्पल नै
गांठतै टैम बण जांवतो मोची
छिणी री धार लगांवतै टैम लुहार
पलड़ सीड़तै टैम दर्जी !
तंगळी ठीक करता जद
मिसतरी कद करतो रीस बाबै री !
हरेक चीज नै जोड़-तोड़'र
बाबो कर ई देवंतो जुगाड़
क्यूंक बाबो तो बाबो ई हो !
-हरीश हैरी
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment