Bharatvasiyo
Ab aap se kya kahen...
Sunday, April 17, 2016
राजस्थानी कविता-“उडीक"
बाबै म्हारी भणाई सारू
ल्यार दियो मेज अर लैम्प
बीं दिन
दिन छिपणो होग्यो ओखो
अंधेरै पड़्यां लैम्प चसा'र
भणन ढुकग्यो जद
पढतां-पढ़तां दिन उगा दियो
म्हूं एकर फैर लागग्यो
आथण री उड़ीक में !
-हरीश हैरी
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment