Thursday, June 14, 2018

राजस्थानी कविता:-“खारै नीम री दांतण अर तू”


म्हानै नीम पर चढेड़ै नै देख’र
तूं मांगी आप सारू
नीम री दांतण
नीम खारो हुवै
भोत खारो हुवै नीम
पण परेम रे पाण
खारे नीम री दांतण
बीं दिन बणगी मिसरी

खारा नीम तो खारा ई रैसी
पण म्हारै भांऊ आज भी
दांतण लागै उतणी ई मीठी
जितणी लागती म्हानै तू !


-हरीश हैरी

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