Thursday, June 14, 2018

राजस्थानी कविता:-“कदी पूछी खुद नै”



तू उण टैम में
कितणा नुक्ता लेवंती
कित्ती खोज काढ लेवंती
घर में आयड़ै सैकल रे टैर नै
देख’र पूछती घरै कुण आयो हो?

सब्जी आळो आयो होसी
मा कैवंती
पण तू नट जावंती
टैर सब्जी आळै रो तो कोनी
तन्नै सो किं ठाह होवंतो

आज इतणा सालां पछै
कित्ता पग मंड्या
कितणा पग धुड़्या
गळी में सैकल
कितणा चक्कर काट्या होसी
कदी मिलै टैम
तो पूछी खुद नै
तू अब खोज क्यूं नहीं काढै
क्यूं नहीं पूछै मा स्यूं
घर में सैकल आळो कुण आयो हो?

-हरीश हैरी

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