Wednesday, October 29, 2014

राजस्थानी कविता-"चाँद मामो"


चाँद मामे नै
देख'र
राजी होया
सुरजै ताऊ नै
देखतां ईं
घर में
लुकग्या टाबर !

-हरीश हैरी

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