Wednesday, October 15, 2014

लघुकथा-"कानून"

नुक्कङ पर चाय वाला अपनी धुन में चाय-चाय चिल्ला रहा था।उसके ठीक सामने सङक पर पुलिस वाले ने मोटरसाईकिल वाले से पूछा-इसके कागजात?
"साहब!कागजात तो घर पर रखें हैं कहीं गुम ना हो जाए"उसने अपना बचाव किया।
"आखिर कानून को तुमने समझ क्या रखा है?"उसने चालान काटकर हाथ में देते हुए कहा-"आज के बाद सारे कागजात वाहन के साथ ही रखना।"उसकी जेब कुछ भर चुकी थी मगर पेट खाली था।
सिपाही चाय पी रहा था तभी एक आदमी दौङता हुआ आया और बोला-"साहब!गाँधी चौक से अभी-अभी मेरा मोटरसाईकिल चोरी हो गया।कुछ कीजिए।"
सिपाही बोला-"उसके कागजात?"
"कागजात तो उसके अंदर ही टूल में थे"
"तुमने कानून को समझ क्या रखा है?घर पर कागज भी सम्भाल नहीं सकते!जाओ पहले कागज लाओ फिर बात करना।"सिपाही ने उसे भगा दिया।इसी बीच चाय वाला बिना पैसे माँगे खाली गिलास लिए जा रहा था।कानून क्या चीज होती है? यह उसकी समझ में आ चुका था।

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