कागद अब स्यात कागद नहीं है
पोथो है पण थोथो नहीं है
हाँ कागद सफा कोरो हो
जद ओ छोरो हो
कागद भी लिख्या हा कागद
गुलाबी कागद
घणा जोध जवान हा जद !
बगत रै साथै-साथै कागद मांय जुड़ता रैया
जिन्दगाणी रा भांत भंतीला पाठ
कागद रा बरका होग्या अबै साठ
अस्सी पाना होवण सारू
खैचळ जारी है
साहित री जबरी बखारी है
कागद कदैई काळो नहीं दीखै
सीखणीया आप सूं देख देख'र सीखै
हरेक राम जी सूं चावै ओ
कागद रा पाना हुवै पूरा सौ
-हरीश हैरी....कागद जी रो बैरी
जलमदिन री घणी सुभकामनावां...
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